कुलम्ब (Charles Coulomb) का नाम दुनियाभर के सभी विद्यार्थी जानते है क्योंकि विद्युत आवेश की इकाई इन्ही के नाम से है | विद्युत आवेश की इकाई कुलाम और विद्युतधारा की इकाई अम्पीयर में गहरा संबध है | किसी बिंदु से एक सैंकड़ में जब अम्पीयर विद्युतधारा बहती है तो हम कहते है कि आवेश भी एक कुलाम प्रवाहित प्रवाहित हुआ है | अम्पीयर विद्युतधारा की मात्रा को नापता है जबकि कुलाम आवेश को मापता है जो फ्रांस के वैज्ञानिक चार्ल्स कुलम्ब के नाम पर पड़ा |
14 जून 1736 को फ्रांस में चार्ल्स कुलम्ब (Charles Coulomb) का जन्म हुआ | ये पढने लिखने में काफी चतुर थे | इनका मुख्य विषय भौतिकी था | भौतिकी के क्षेत्र में इन्होने विद्युत चुम्बकत्व और घर्षण जैसे विषयों में काफी योगदान दिया | कुलम्ब ने एक नियम प्रतिपादित किया जिसे कुलाम का नियम कहते है | यह नियम व्युत्क्रमानुपात के नियम से जाना जाता है | यह नियम दो आवेशो या दो चुम्बकीय ध्रुवो के बीच लगने वाले बलों की मीमांसा करता है |
इस नियम के अनुसार दो विद्युत आवेशो या दो चुम्बकीय ध्रुवो के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल उन आवेशो या ध्रुवो की शक्ति के गुणनफल के समानुपाती होता है और उनके बीच की दूरी वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है | यह नियम इन दोनों ही विषयों के बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ | कुलम्ब ने एक टारसन बैलेंस का अविष्कार किया जो चुम्बकीय या विद्युतीय आकर्षण बल मापने के काम आता है | सन 1779 में इन्हें चुम्बकीय सुईयो पर एक शोधपत्र प्रस्तुत करने के लिए रॉयल अकादमी ऑफ़ साइंस से पुरुस्कार प्राप्त हुआ |
सन 1781 में सरल मशीनों का सिद्धांत से संबधित शोधपत्र पर दूसरा पुरुस्कार प्राप्त हुआ | इनकी प्रतिष्ठा के लिए विद्युत आवेश की इकाई का नाम कुलाम रखा गया | कुलम्ब (Charles Coulomb) ने वैज्ञानिक अनुसन्धानो की क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले नौ साल तक फ्रांस की थल सेना की सेवा की | सन 1782 में इन्हें फ्रांस की अकादमी का सदस्य चुना गया | सन 1806 में यह विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक भगवान को प्यारे हो गये | विज्ञान की दुनिया में इन्हें कभी नही भुलाया जा सकता है |